चलो आग से खेलें। बहुत खेल लिया खिलौनों से बचपन भर, अब जो बड़े हो गए हैं हम तुम दोनों, चलो आग से खेलें। एक एक तीली उछाल कर आग लगा देते हैं इस बस्ती में , कुछ तू जला कुछ मैं जला देता हूँ, फिर कल के अख़बारों में अपनी अपनी गिनती कर लेंगे, रो भी लेंगे थोड़ा थोड़ा अपनी इन गिनतियों पर।
इतना कुछ है आस पास जलाने को, कितनो को कई बार जला कर ख़ाक कर देने का भी मन करता है, फिर कुछ सोच समझकर रुक जाता हूँ मैं, फिर खेलने का मन करता है, फिर तीलियाँ उछालता हूँ, फिर रुक जाता हूँ कुछ सोच समझकर। सोचता हूँ मैं सो रुक जाता हूँ, रुक जाता हूँ कुछ सोच समझकर।
इतना कुछ है आस पास जलाने को, कितनो को कई बार जला कर ख़ाक कर देने का भी मन करता है, फिर कुछ सोच समझकर रुक जाता हूँ मैं, फिर खेलने का मन करता है, फिर तीलियाँ उछालता हूँ, फिर रुक जाता हूँ कुछ सोच समझकर। सोचता हूँ मैं सो रुक जाता हूँ, रुक जाता हूँ कुछ सोच समझकर।