अब्बा और सन्डे

सन्डे आता था हर हफ्ते।  इस दिन अब्बा के साथ नाई की दुकान पर जाना होता था। सड़क पार करवाकर उससे कहते, "बिलकुल छोटे कर देना", "और जब हो जाए तो सड़क पार करवा देना।" उन्हें लगता था ये अकेला सड़क पार नहीं कर पाएगा। काफी साल गुज़र चुके हैं इन बातों को। अब सड़क के इस पार से उन्हें देखता हूँ।  अब लगता है मेरे बिना उनसे सड़क पार नहीं होगी।