आज अगर कठिन डगर,
आज जो तू भटकता पथ,
ढूँढता तू और कुछ क्या?
स्वयं को प्रत्यक्ष कर ले।
निश्चय किया जो,अवश्य कर ले।
कल तेरा आश्वस्त है,
आज पर ही प्रश्न है,
चंद पल भविष्य है,
लक्ष्य को भविष्य कर ले,
स्वयं को प्रत्यक्ष कर ले।
जो भटकता तू और कहीं तो,
मन को अपने सशक्त कर।
जो भटकता तू खुद में ही तो,
शांत कर मस्तिष्क को,
फिर सोच ज़रा तू देर दूर तक,
स्वयं को प्रत्यक्ष कर ले।
आज जो है, कल होगा क्या?
उस से उठा खुद को कुछ यूँ,
कि "न मिलेगा", यह प्रश्न,
खुद में ही तू गुम कर ले
सार को समक्ष कर ले,
भाग्य को निशपक्ष कर ले,
स्वयं को प्रत्यक्ष कर ले।